संविधान को साक्षी मानकर बौद्ध रीति से सादगीपूर्ण शादी संपन्न कर दिया समाज को नया संदेश
कोटपूतली के उपासक बृजेश कुमार अलोरिया ने उदयपुरवाटी उपखंड के सुरपुरा गांव के मदनलाल की पुत्री उपासिका पूनम के साथ रचाया विवाह।

भीम प्रज्ञा न्यूज़ कोटपूतली। विवाह समारोहों जैसे कार्यक्रमों में या तो देखादेखी या फिर अंधानुकरण से पुरातन परंपराओं को बेवजह ही घसीट रहे हैं, लेकिन वर्तमान प्रसंग में उनका न तो कोई औचित्य रहा है। और न हीं उनकी उपयोगिता है। क्या आप जानते हैं कि इन सामाजिक कुरीतियों के कारण हमारे संस्कारों पर कितना कुप्रभाव पड़ रहा है।
इस सांस्कृतिक प्रदूषण से समाज कितने घाटे में है। क्या आपने कभी सोचा! दहेज रूपी दानव आए दिन मानवता की अच्छाइयों को खा रहा है। जिसके कारण सामाजिक वातावरण दूषित होता जा रहा है। सांस्कृतिक प्रदूषण के खिलाफ बोलेगा कौन ? मैं बोलूंगा तो फिर कहोगे कि बोलता है। जरूर इनके खिलाफ कोई जंग छेड़ना चाहे तो लोगों की बेवजह की टोका टोकी बदलाव नहीं होने देती, जिनका कोई हीत निहित ना हो वे भी इस तरह की टिप्पणी करते रहते हैं। इसलिए कोई भी व्यक्ति परिवर्तन करने की हिमाकत चाहकर भी नहीं कर पा रहा है। सांस्कृतिक प्रदूषण के खिलाफ कोई शुद्ध के लिए युद्ध अभियान छेड़े तो उसका हृदय से स्वागत करना चाहिए। ऐसी विषम परिस्थितियों में यदि कोई सामाजिक बदलाव की दिशा में तनिक भी एक कदम आगे बढ़ाता है तो वह समाज के लिए काफी प्रेरणादायक साबित हो सकता है।
ऐसे कार्य समाज के जुनूनी व्यक्ति व जिद्द से सिद्ध करने के लिए संकल्पित युवाओं के द्वारा ही संभव है। ऐसी ही एक अनूठी शादी कोटपूतली शहर के एक युवक ने की है। जिसमें काफी नवाचार देखने को मिले और युवाओं के लिए प्रेरणा का संदेश दिखाई दिया। जिसका मैं जिक्र करने जा रहा हूं वह शादी समारोह 8 दिसंबर 2020 को झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी तहसील के सुरपुरा गांव में सादगीपूर्ण नेगचार, फिजिकल डिस्टेंस और हैंड सेनीटाइजर की समुचित व्यवस्था के साथ संपन्न हुई। शादी समारोह की सबसे अनूठी बात यह थी कि विवाह मंडप में संविधान को साक्षी मानकर उपासक बृजेश कुमार अलोरिया व उपासिका पूनम वर्मा ने तथागत गौतम बुद्ध और बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर बुद्धम शरणम गच्छामि ! धम्मम शरणम गच्छामि !! संघम शरणम गच्छामि!!! के सस्वर वाचन द्वारा विवाहित दांपत्य जीवन होना स्वीकार किया। यह अनुष्ठान पंचशील, अष्टांगिक मार्ग एवं प्रतिज्ञाएं, धम्मदेशना, उपदेश बौद्धाचार्य हरेश पंवार ने अपनी मधूर वाणी से संपन्न करवाई।
पाणिग्रहण संस्कार कि इस पावन बेला को देखने के लिए महिला पुरुष व बच्चों की बड़ी संख्या में तादाद दिखाई दी। इस अवसर पर धम्मदेशना कार्यक्रम भी हुआ। उपासक उपासिका को मेहमानों में बराती व घरातियों ने आशीर्वाद प्रदान कर मंगलमय गुंजायमान हर्षित गीतों के साथ उपासक बृजेश अलोरिया व उपासिका पूनम पर बालिकाओं व मेहमानों ने पुष्प वर्षा कर बधाई दी। इस अवसर पर भारतीय संविधान को हाथ में लेकर दोनों पक्षों ने शपथ ली कि विवाह जैसे पवित्र बंधन को स्वीकार कर सामाजिक जिम्मेदारियों को बखूबी से पूर्ण करने और सामाजिक आदर्शों को ग्रहण करते हुए आदर्श दांपत्य जीवन जीने का संकल्प लिया और अपने आदर्श व्यक्तित्व व कृतित्व से अन्य लोगों के लिए प्रेरणा प्रदान करने का समाज के प्रबुद्ध लोगों को विश्वास दिलाया।
इस शादी समारोह को देखकर समाज के लोगों ने काफी प्रसन्नता जाहिर की।
इस अवसर पर बौद्धाचार्य हरेश पंवार के साथ पधारे भीम प्रज्ञा फाउंडेशन के चेयरमैन कमांडो राजेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे गलत आचरण और कुसंस्कारों के अनुकरण से टूटते विवाह जैसे पवित्र रिश्तो पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने विवाह संस्कारों में आई गिरावट के लिए समाज के जागरूक लोगों को ही दोषी माना। उन्होंने कहा कि अनादि काल से अनावश्यक परंपराओं को ढोते आ रहे हैं। जिनकी उपयोगिता भी नहीं है फिर भी विवाह समारोह जैसे उत्सवों में बदलाव क्यों नहीं हो रहे। उन्होंने यह बड़ी चिंता का विषय माना है।
उन्होंने विवाह के दोनों पक्षकारों को इस बदलाव के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि समाज को एक जाजम पर बैठकर विवाह समारोह में होने वाले नफा नुकसान के लिए चिंतन मनन करना चाहिए। यह एक सामाजिक गुनाह है एक पक्ष नीची गर्दन झुका कर देता रहे और दूसरा पक्ष सिर ऊंचा कर लेता रहे और बदले में आदर सत्कार भी ना करें। लेन-देन की इस परंपरा को जहां तक संभव हो कम करना चाहिए।इस अवसर पर एक अनोखी बात यह भी देखने के लिए मिली कि अमूमन देखा जाता है कि वरमाला डालने के बाद नवविवाहिता युवती वर के पांव छूती है। लेकिन वरमाला के बाद उपासक बृजेश अलोरिया ने चरण छूने से इनकार कर दिया और दोनों ने हाथ मिलाकर संग संग रहने का संकल्प लेते हुए बराबरी का दर्जा मानकर समाज को नया संदेश दिया।
इस मौके पर उपासक बृजेशअलोरिया पुत्र श्री परिनिवृत कैलाश चंद अलोरिया व उनकी माता इमरती देवी व ताऊ कबीर प्रसाद, मामा मूलचंद कालावत, गोपाल कृष्ण वर्मा, फुफा हरिपाल वर्मा, रोहिताश्व वर्मा, हरिराम , मोसा हरिराम सामरिया, बहनोई सतीश कुमार, बहिनें निशा, उर्मिला, सुमन, भाई जितेंद्र वर्मा, मोहन, महेश, जितेंद्र कालावत, इंद्रपाल, राजेंद्र, नरेश, श्रीकांत, नरेंद्र, पवन, विकास रणजीत, नरेश वर्मा, लोकेश, संदीप, मिंटू , पंकज, बंटी, नीरज यश ,अभिषेक, कंचन, प्राची, सुरेंद्र व मित्रगण मनोज, धर्मसिंह, जसवंत, पवन, नरेंद्र वर्मा झुंझुनू स्काउट सीओ महेश कालावत, पंकज, विजय, हर्ष गौरव, मंजू ,कृष्ण, अमन, आकाश, विशाल, हिमांशु ,राजेश तथा उपासिका पूनम पक्ष के परिजनों में पिता मदनलाल वर्मा माता कमला देवी ताऊ छाजूराम, हंसराज, ताई कमलादेवी, सारली देवी, चाचा नंदलाल, भगवान सहाय, बनवारी लाल, लालचंद, सुल्तान, सुरेश, ख्यालीराम, माणकराम, लक्ष्मी देवी, मोनिका, पिंकी, ताराचंद, रविंद्र, सुभाष, मूलचंद, भाई प्रवेश , पूरणमल, महेश, जितेंद्र, अभिषेक, संजू ,सोनू ,बहिनें प्रेम, पूजा, नीतू ,ललिता तथा सराय सुरपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच धर्मेंद्र मीणा, पूर्व उपसरपंच पूर्णमल चोपड़ा, पूर्व सरपंच विजेंद्रसिंह, सायरमल व राजकपूर, खेतड़ी पुस्तकालय अधीक्षक रामस्वरूप महारानियां, रामलाल कुलदीप सराय, सहित काफी गणमान्य लोग विवाह समारोह के साक्षी बने, शादी समारोह की इस नवाचार को देखकर सभी लोगों ने प्रसन्नता जाहिर की।
इस मौके पर शांति स्वरूप बौद्ध द्वारा लिखी बाबा साहेब अंबेडकर की जीवनी पर आधारित पुस्तकें मेहमानों को भेंट की गई।