
इसलिये काटे जाते है अँगूठे
शास्त्र थोपे जाएँ, वीर उगे ना।
इसीलिए मारे जाते हैं शम्बुक
रैदास पैदा न हो, कबीर उगे ना।
तभी वो बच्चा बाप से कहता था
बंदूके बो दो गर ज़मीर उगे ना |
वो मुझे छाँटकर अलग कर देंगे
मेरे माथे पर जो अबीर उगे ना |
रोने से फ़कत बुज़दिली आती है
कलमें उठाओ जो पीर उगे ना |
इसीलिए उसे तुम खुदा कहते हो
उसकी इंकलाबी नज़ीर उगे ना |
उलझा दो मज़हब के सवालों में
मुल्क में मुद्दा गम्भीर उगे ना |
सत्ता को इश्क से बड़ा खतरा है
कानूनन राँझा कि हीर उगे ना|
वास्ते जम्हूरियत ख़्याल रखना
तुम चुन लेना वज़ीर उगे ना |
ये धरती तेरी, मेरी, सबकी है
‘बोधि’ इस पर लकीर उगे ना |
शिव बोधि